उत्तराखंड के लिए सुप्रीम कोर्ट से आई बड़ी ख़बर, इन कर्मियों का लगा जोर का झटका
दिल्ली से उत्तराखंड के लिए खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा से बर्खास्त कर्मियों की याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी का बयान सामने आया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) दिल्ली से उत्तराखंड के लिए खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा से बर्खास्त कर्मियों की याचिका को खारिज कर दिया है। इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी का बयान सामने आया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है।
"मैं धन्यवाद करती हूं सर्वोच्च न्यायालय का जिन्होंने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर लिए गए मेरे फैसले को सही ठहराया है। pic.twitter.com/kHc1HBuOMf
— Ritu Khanduri Bhushan (@RituKhanduriBJP) December 15, 2022
दरअसल विधानसभा अध्यक्ष ने हाल ही में 2016 से अब तक विधानसभा में भर्ती हुए 228 कर्मियों को नियम विरुद्ध मानते हुए रद्द कर दिया था। इसके बाद इन कर्मियों ने कोर्ट का रुख किया।
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कर्मियों के पक्ष में फैसला दिया हालांकि डबल बेंच ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही ठहराया और बर्खास्तगी जारी रखी। इसके बाद बर्खास्त किए गए कर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और उन्होंने याचिका डाली। इस संबंध में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से भी कैविएट दाखिल किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए जो एसएलपी डाली गई थी उसे कोर्ट ने स्वीकार करने से मना कर दिया। इसके बार कर्मियों के वकील ने याचिका वापस ले ली। इसके साथ ही विधानसभा से बर्खास्त किए गए कर्मियों को राहत मिलने का रास्ता बंद होता दिख रहा है। बताया जा रहा है कि कोर्ट ने महज डेढ़ मिनट में ही सुनवाई पूरी कर ली और याचिका को खारिज कर दिया।
आपको बता दें कि इस संबंध में तीन पिटिशन कोर्ट में डाली गईं थीं। तीनों ही पिटिशन पर एक साथ सुनवाई की गई। दिलचस्प ये है कि इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष की ओर से पक्ष रखने के लिए भारत से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे। हाईकोर्ट की डबल बेंच में विधानसभा का पक्ष रखने वाले एडवोकेट अमित तिवारी भी विधानसभा की ओर से पैरवी कर रहे थे। जबकि विधानसभा से निकाले गए, कर्मचारियों की पैरवी एडवोकेट विमल पटवालिया कर रहे थे। अभिषेक मनु सिंघवी को भी पैरवी के लिए पहुंचना था, लेकिन वह पैरवी के लिए नहीं पहुंचे।
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