CBSE 12वीं की परीक्षा | 30 मिनट का होगा पेपर, इस दिन शिक्षा मंत्री करेंगें तारीख का ऐलान!
देश में कोरोना का कहर जारी है। कोरोना के चलते शिक्षा पर काफी प्रभाव पड़ा है। कोरोना के प्रभाव के चलते इस साल CBSE की 10वीं बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है जबकि 12वीं की परीक्षाओं पर फैसला अभी बांकी है।
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) देश में कोरोना का कहर जारी है। कोरोना के चलते शिक्षा पर काफी प्रभाव पड़ा है। कोरोना के प्रभाव के चलते इस साल CBSE की 10वीं बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है जबकि 12वीं की परीक्षाओं पर फैसला अभी बांकी है।
इस बीच बड़ खबर मिल रही है कि शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक 1 जून को कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा कर सकते हैं। आज तक की खबर के अनुसार शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक 1 जून को कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा कर सकते हैं। इसमें परीक्षा की अवधि डेढ़ घंटे से घटाकर आधा घंटे की जा सकती है। जानकारी के अनुसार, छात्रों के लिए 30 मिनट की अवधि के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा में उनसे ऑब्जेक्टिव यानी वस्तुनिष्ठ प्रश्न पूछे जाएंगे।
बता दें कि रविवार को हुई राज्यों के शिक्षामंत्रियों के साथ हुई बैठक के बाद, शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों से 25 मई तक केंद्र के प्रस्ताव पर लिखित प्रतिक्रिया मांगी थी। बैठक के दिन ही 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने CBSE के 12वीं बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था। केवल दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा और अंडमान और निकोबार ने परीक्षाएं न कराने का सुझाव रखा था।
CBSE ने कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय को दो विकल्प प्रस्तावित किए थे। पहले विकल्प में छात्रों के केवल 19 महत्वपूर्ण विषयों के पेपर लिए जाने हैं जिसमें परीक्षा का फॉर्मेट और एग्जाम सेंटर पहले जैसे ही रहेंगे। दूसरे विकल्प में एग्जाम का पैटर्न 3 घंटे से घटकार 1.5 घंटे किया जाना है और छात्रों को अपने ही स्कूल में परीक्षा देने की अनुमति दी जानी है।
बता दें कि अधिकांश राज्यों ने छोटे फॉर्मेट यानी डेढ़ घंटे (90 मिनट) के एग्जाम पर सहमति जताई है। परीक्षा के लिए सहमति जताने वाले 32 में से लगभग 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने या तो CBSE के विकल्प B से सहमति जताई या मामले पर केंद्र के फैसले का समर्थन करने के लिए सहमत हुए। केवल राजस्थान, त्रिपुरा, तेलंगाना ने विकल्प A यानी मौजूदा फॉर्मेट में ही परीक्षा कराने का प्रस्ताव रखा।
बता दें कि सभी राज्यों से 1 सप्ताह के समय के भीतर बोर्ड परीक्षाओं पर अपने सुझाव देने को कहा गया था। अधिकांश राज्य परीक्षाएं कराने के पक्ष में हैं और छोटे फॉर्मेट में परीक्षा लेने के लिए तैयार हैं।
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