चांद पर भारत | चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से क्या होगा फायदा ? पूरी जानकारी यहां

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चांद पर भारत | चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से क्या होगा फायदा ? पूरी जानकारी यहां

Chandrayaan 3

अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरा। इस लैंडर में एक रोवर है।


 

नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) ISRO ने चांद पर परचम लहरा दिया है। Chandrayaan-3 ने चांद की सतह पर अपने कदम रख दिए हैं। चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत ने अंतरिक्ष में इतिहास रच दिया है। इसरो (ISRO) के मुताबिक तय समय पर ये मिशन पूरा हुआ है। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ ही देश भर में खुशी का माहौल है।

अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को शाम करीब छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरा। इस लैंडर में एक रोवर है।

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग पर कहा कि भारत अब चांद के साउथ पोल पर है। पीएम मोदी ने कहा कि चंद्रमा पर चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग ऐतिहासिक है। ये पल भारत का है, इसके लोगों का है।

इसरो के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग पर पीएम मोदी ने कहा कि कभी कहा जाता था चंदा मामा बहुत दूर के हैं, अब एक दिन वो भी आएगा जब बच्चे कहा करेंगे चंदा मामा बस एक टूर के हैं।

विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?

रंभा (RAMBHA)- यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा।

चास्टे (ChaSTE)- यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा।

इल्सा (ILSA)- यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा।

लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA)- यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा।

प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स हैं, वो क्या करेंगे?

लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (Laser Induced Breakdown Spectroscope - LIBS)। यह चांद की सतह पर मौजूद केमकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता की स्टडी करेगा। साथ ही खनिजों की खोज करेगा।

अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (Alpha Particle X-Ray Spectrometer - APXS) यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा। जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा। इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी।

वैज्ञानिकों के लिए क्या है फायदा

कुल मिलाकर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर मिलकर चांद के वायुमंडल, सतह, रसायन, भूकंप, खनिज आदि की जांच करेंगे। इससे इसरो समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों को भविष्य की स्टडी के लिए जानकारी मिलेगी। रिसर्च करने में आसानी होगी. ये तो हो गई वैज्ञानिकों के लिए फायदे की बात।

देश को क्या फायदा होगा

दुनिया में अब से पहले तक चांद पर सिर्फ तीन देश सफलतापूर्वक उतर पाए थे। अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन। अब भारत के चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिली है, भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है। वहीं भारत दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।

इसरो दुनिया में अपने किफायती कॉमर्शियल लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है। अब तक 34 देशों के 424 विदेशी सैटेलाइट्स को छोड़ चुका है। 104 सैटेलाइट एकसाथ छोड़ चुका है। वह भी एक ही रॉकेट से चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजा। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है, उसी ने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट खोजी। मंगलयान का परचम तो पूरी दुनिया देख चुकी है। चंद्रयान-3 की सफलता इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेसियों में शामिल कर देगी।

आम आदमी को होगा ये फायदा

चंद्रयान और मंगलयान जैसे स्पेसक्राफ्ट्स में लगे पेलोड्स यानी यंत्रों का इस्तेमाल बाद में मौसम और संचार संबंधी सैटेलाइट्स में होता है। रक्षा संबंधी सैटेलाइट्स में होता है। नक्शा बनाने वाले सैटेलाइट्स में होता है। इन यंत्रों से देश में मौजूद लोगों की भलाई का काम होता है। संचार व्यवस्थाएं विकसित करने में मदद मिलती है, निगरानी आसान हो जाती है।

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