इस बैंक पर RBI ने कसा शिकंजा, ग्राहक नहीं निकाल पाएंगे 25 हजार से ज्यादा
आपको बता दें कि बैंक पिछले कुछ साल से पूंजी जुटाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन सफल नहीं हुआ। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में विलय के प्रस्ताव को आरबीआई ने 2019 में खारिज कर दिया था।
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि मोरेटोरियम अवधि के दौरान आरबीआई से लिखित अनुमति के बगैर बैंक खाताधारक को 25 हजार से ज्यादा रकम का भुगतान नहीं कर पाएगा। सरकार ने रिजर्व बैंक की सलाह पर यह कदम उठाया है। वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने का मोरेटोरियम लगाया गया है। यह 17 नवंबर से 16 दिसंबर तक लागू रहेगा। ये आदेश आरबीआई अधिनियम की धारा 45 के तहत लाया गया है।
आरबीआई की मानें तो यह कदम बेहद जरूरी हो गया था, क्योंकि बैंक के फंसे हुए कर्ज में लगातार इजाफा हो रहा था, और नया एनपीए बनने का खतरा मंडरा रहा था। हालांकि आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक के ग्राहकों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि उनके हितों की पूरी रक्षा की जाएगी और उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
आपको बता दें कि बैंक पिछले कुछ साल से पूंजी जुटाने का प्रयास कर रहा है, लेकिन सफल नहीं हुआ। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी इंडिया बुल्स हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में विलय के प्रस्ताव को आरबीआई ने 2019 में खारिज कर दिया था।
बैंक की समस्या उस समय शुरू हुई जब उसने एसएमई (लघु एवं मझोले उद्यम) के बजाए बड़ी कंपनियों पर ध्यान देना शुरू किया। बैंक ने फार्मा कंपनी रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तक मलविन्दर सिंह और शिविन्दर सिंह की निवेश इकाई को 720 करोड़ रुपये का कर्ज दिया। यह कर्ज 2016 के अंत और 2017 की शुरुआत में 794 करोड़ रुपये की मियादी जमा पर दिया गया। यहीं से बैंक की समस्या शुरू हुई। इसके बाद बैंक का घाटा बढ़ने लगा। वहीं, आरबीआई ने सितंबर 2019 में एनपीए बढ़ने के साथ बैंक को तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई के अंतर्गत रखा। वित्त वर्ष 2019-20 में बैंक को 836.04 करोड़ रुपये का घाटा हुआ जो 2018-19 में 894.09 करोड़ रुपये था।
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