कोरोना को रोकने के लिए पिछले साल की तरह सख्त लॉकडाउन जरुरी: गुलेरिया

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कोरोना को रोकने के लिए पिछले साल की तरह सख्त लॉकडाउन जरुरी: गुलेरिया

कोरोना को रोकने के लिए पिछले साल की तरह सख्त लॉकडाउन जरुरी: गुलेरिया

देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने देश में कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए पिछले साल जैसा सख्त और संपूर्ण लॉकडाउन लगाने की मांग की है।


नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने देश में कोरोना की दूसरी लहर को रोकने के लिए पिछले साल जैसा सख्त और संपूर्ण लॉकडाउन लगाने की मांग की है।


 गुलेरिया ने कहा कि जिन इलाकों में 10 प्रतिशत से ज्यादा कोरोना संक्रमण है, वहां सख्त लॉकडाउन लगाने की जरूरत है।एनडीटीवी से बात करते हुए डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि देश कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में फंस गया है और वायरस तेजी के साथ फैल रहा है और उसकी रफ्तार भयावह है।


उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा और अन्य राज्यों द्वारा नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन लगाने जैसे प्रावधान दूसरी लहर को रोक पाने में अप्रभावी साबित हुए हैं।

डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि वायरस संक्रमण के चलते स्वास्थ्य व्यवस्था पर काफी दबाव है और मानव संसाधन पर उसकी क्षमता से ज्यादा बोझ है। ऐसा क्यों हो रहा है? के सवाल पर उन्होंने कहा कि संक्रमण के मामले कम नहीं हो रहे हैं, ऐसे में संक्रमण के मामलों को कम करने के लिए हमें आक्रामक तरीके से काम करने की जरूरत है या तो आक्रामक कंटेनमेंट किया जाए या फिर लॉकडाउन... या कुछ भी किया जाए. ये बहुत जरूरी हो गया है।


ये दूसरी बार है, जब एम्स डायरेक्टर ने सख्त लॉकडाउन की मांग की है। गुलेरिया ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "हमें लगा कि वैक्सीन आ रही और संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं लिहाजा लोग वायरस के प्रति लापरवाह हो गए लेकिन कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से संक्रमण के लिए यह मायने नहीं रखता है।


 वायरस म्यूटेट कर सकता है और भारत जैसे देश में जंगल में आग की तरह फैल सकता है। उन्होंने कहा कि हर्ड इम्युनिटी की उम्मीद करना बेमानी है। अगर वायरस म्यूटेट करेगा तो हर्ड इम्युनिटी का कोई मतलब नहीं है।

उन्होंने कहा कि हर दिन बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले आ रहे हैं। अस्पतालों के पास समय ही नहीं है कि वे नए मरीज के लिए बेड तैयार कर पाएं और डॉक्टरों के पास समय नहीं है कि वे मरीज का इलाज कर पाएं।

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