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इन तीनों हरेला पर्व में श्रावण मास में पड़ने वाले हरेला को ज्यादा महत्व मिला है क्योंकि सावन की फुहारों के साथ ही धरती हरी-भरी हो जाती है और सुख सम्पदा आती है। भारत कृषि प्रधान देश है ऐसे में अच्छी व
14 मार्च को चैत्र मास की संक्रान्ति है, यानि भारतीय कलैंडर का पहला दिन है। आज के दिन फूल देई त्योहार मनाया जाता है। आज का दिन बच्चों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन का बच्चे बड़ी बेसब्री से इंतजार कर
उत्तराखंड में साल भर अलग-अलग उत्सव और मेले का आयोजन होता रहता है। इन मेलों में उत्तराखंड की संस्कृति के विभिन्न रंग देखने के मिलते हैं। बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर यहां हर्षोल्लास से लोक गीत गाते हैं
उत्तराखंड की संस्कृति के रंग जुदा हैं। पहाड़ की संस्कृति के रंग में हर कोई रंगना चाहता है। उत्तराखंड की पारंपरिक ऐपण कला की भी दुनिया दीवानी है।
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) 14 मार्च को चैत्र मास की संक्रान्ति है, यानि भारतीय कलैंडर का पहला दिन है। आज के दिन फूल देई त्योहार मनाया जाता है। आज का दिन बच्चों के लिए बेहद खास होता है। आज के दिन का ब
नई दिल्ली (उत्तराखंड पोस्ट) आभूषण हर महिला के श्रृंगार का अभिन्न हिस्सा है। महिलाएं रूप निखारने के लिए तरह-तरह के आभूषण प्रारम्भ से ही पहनती आई हैं। उत्तराखंड की महिलाओं को अलग पहचान दिलाता और उनका र
देहरादून [सुमित पांडे] हरेला उत्तराखंड के कुमाऊं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार सामाजिक सौहार्द के साथ ही कृषि और मौसम से भी संबंधित है। हरेला का अर्थ है हरियाली। इसके साथ ही हरेला पर्व को भगवान
देहरादून [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] छोलिया, कुमाऊं का प्रसिद्ध परम्परागत लोक नृत्य है जिसका इतिहास सैकड़ों-हजारों वर्ष पुराना है। पुराने वक्त से ही छोलिया नृत्य उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान रहा है। एक
देहरादून [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] पिछौड़ा बेहद सादगी भरा लेकिन खूबसूरत परिधान है जिसे उत्तराखंड में सुहागिन स्त्रियां पहनती हैं। ये दुपट्टा या एक ओढ़नी की तरह होता है और उत्तराखंड में औरतों के सौभाग्
देहरादून [उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो] उत्तराखंड हर लिहाज़ से देश के बाकी हिस्सों से भिन्न है। यहां दीपावली को इगास-बग्वाल के नाम से भी जाना जाता हैं। इस दिन उत्तराखंड की बरसों पुरानी परंपरा भैलो खेलने का