शारदीय नवरात्रि क्यों मनाई जाती है, किन देवियों को होती है पूजा ?
हिंदू धर्म में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में एक से महत्वपूर्ण पर्व नवरात्रि का है। नवरात्रि में 9 दिन तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और माता को घर के मंदिर में विराजमान कराया जाता है। उसके बाद नौ दिनों तक देवी मां भक्तों के घर पर वास करती हैं।
देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट) हिंदू धर्म में कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। इन्हीं में एक से महत्वपूर्ण पर्व नवरात्रि का है। नवरात्रि में 9 दिन तक माता के नौ स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और माता को घर के मंदिर में विराजमान कराया जाता है। उसके बाद नौ दिनों तक देवी मां भक्तों के घर पर वास करती हैं।
आइए जानते हैं कि नवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है और 9 दिनों तक किन नौ देवियों की पूजा की जाती है।
शारदीय नवरात्रि 2022 कब है?
हिंदू मान्यता के मुताबिक, शारदीय नवरात्रि का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 26 सितंबर, दिन सोमवार से हो रही है। नौ दिन का यह पर्व 4 अक्टूबर, दिन मंगलवार तक मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्रि का समापन नवमी तिथि को होता है, जिसके अगले दिन यानी दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस बार 5 अक्टूबर को दशहरा है।
मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि की शुरुआत भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने की थी। भगवान राम जब माता सीता को रावण से आजाद कराने के लिए युद्ध करने जा रहे थे, तो उन्होंने रामेश्वरम में समुद्र के किनारे शारदीय नवरात्रि की पूजा की। नौ दिनों तक माता शक्ति की आराधना के बाद दसवें दिन श्रीराम ने रावण का वध करके लंका पर विजय हासिल की। इस कारण नौ दिनों की नवरात्रि पूजा के बाद दसवें दिन दशहरा मनाते हैं।
मां दुर्गा से जुड़ी कथा
एक पौराणिक कथा के मुताबिक, महिषासुर नाम के राक्षस को ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था कि उसे कोई देव, दानव, धरती पर रहने वाला व्यक्ति मार नहीं पाएगा। वरदान प्राप्त करने के बाद महिषासुर ने पृथ्वी पर आतंक मचा दिया। महिषासुर का अंत करने के लिए माता दुर्गा का जन्म हुआ। नौ दिनों तक माता दुर्गा और महिषासुर के बीच युद्ध हुआ और अंत में माता दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया।
नवरात्रि में देवी के इन नौ स्वरूपों की होती है पूजा-
पहला स्वरूप- मां शैलपुत्री
दूसरा स्वरूप- मां ब्रह्मचारिणी
तीसरा स्वरूप- मां चंद्रघंटा
चौथा स्वरूप- मां कूष्मांडा
पांचवां स्वरूप- मां स्कंदमाता
छठा स्वरूप- मां कात्यायनी
सातवां स्वरूप- मां कालरात्रि
आठवां स्वरूप- मां महागौरी
नौवां स्वरूप- मां सिद्धिदात्री
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