उत्तराखंड में यहां गांव वालों ने बारातियों को ही बंधक बना लिया, जानिए क्या है मामला

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उत्तराखंड में यहां गांव वालों ने बारातियों को ही बंधक बना लिया, जानिए क्या है मामला

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उत्तराखंड के एक शादी समारोह में उस वक्त हडकंप मच गया जब बारात में हुई आतिशबाजी से ग्रामीणों के सूखे घास के 40 लुट्टे आग की भेंट चढ़ गए। इसके बाद ग्रामीणों ने कुछ बारातियों को बंधक बना लिया।




बागेश्वर (उत्तराखंड पोस्ट)
उत्तराखंड के एक शादी समारोह में उस वक्त हडकंप मच गया जब बारात में हुई आतिशबाजी से ग्रामीणों के सूखे घास के 40 लुट्टे आग की भेंट चढ़ गए। इसके बाद ग्रामीणों ने कुछ बारातियों को बंधक बना लिया।

जानकारी के अनुसार मामला बागेश्वर के धमोली गांव का है। मंगलवार दोपहर बारात दीवान सिंह के घर के लिए रवाना हुई थी। बारात में शामिल कुछ युवक उत्साह में आतिशबाजी कर रहे थे। पटाखे और राकेट चलाए जा रहे थे। दुल्हन के घर में बारात के स्वागत की तैयारियां चल रही थीं।। अचानक गांव से कुछ पहले ग्रामीणों के खेत में रखे गए सूखे घास के ढेर में आग लग गई। आग धीरे—धीरे ऐसी फैली की एक दो नहीं पूरे चालीस लुट्टे देखते ही देखते भस्म होने लगे।

घटना के बाद पूरा गांव वहां जुट गया। बारातियों ने उस वक्त राकेट चलाने की बात से इंकार किया तो ग्रामीणों में हाथा-पाई की नौबत भी आ गई। गुस्साएं कुछ ग्रामीणों ने आग बुझाने का अभियान चलाया तो कुछ ने बारातियों को बंधक बना लिया।

ग्रामीणों ने फरमान सुना दिया कि जब तक उनके नुकसान का हर्जाना नहीं दिया जाएगा। एक भी बाराती वापस नहीं जाएगा। ऐसे में गांव के बड़े बुजुर्गों ने समझौते का रास्ता निकाला। किस ग्रामीण के कितने लुट्टे जले हैं यह जानकारी जुटाई गई। अनुमान लगाया गया कि एक लुट्टे में तकरीबन ढाई हजार कीमत की घास रही होगी। पता चला कि आग से 40 लुट्टे नष्ट हुए हैं। इस तरह कुल हुए नुकसान का आंकलन निकाला गया जो एक लाख रूपए बना। इसमें से दस हजार रुपए तुरंत जमा भी कर दिए गए। शेष 90 हजार रुपए एक सप्ताह में देने का वादा किया गया। दोनों पक्षों में लिखित समझौता हुआ। तब कहीं जाकर ग्रामीणों ने बारात का वापस जाने दिया।

लेकिन अब स्थिती ये हो गयी है कि दोनों ही पक्ष गरीब होने के कारण समझ नहीं पा रहे हैं कि एक सप्ताह के भीतर ग्रामीणों को 90 हजार रुपए का इंतजाम कैसे होगा? इसमें से बीस हजार रुपए वधू पक्ष देगा शेष 80 हजार का नुकसान वर पक्ष को भुगतना होगा। वर मोहन सिं​ह की गांव में ही एक छोटी सी दुकान है। उसके पिता घोड़ों पर लोगों का सामान व अन्य निर्माण सामग्री ढोने का काम करते हैं। उधर, वधू संगीता के पिता भी एक होटल में छोटी मोटी नौकरी करते हैं। आर्थिक रूप से वे भी सक्षम नहीं है। बेटी के विवाह के लिए उन्होंने पूरी जमा पूंजी एकत्रित करके व्यवस्थाएं कीं थी।

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