दहशत में जोशीमठ! CM धामी भी एक्टिव, PMO से भी हो रही है निगरानी

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दहशत में जोशीमठ! CM धामी भी एक्टिव, PMO से भी हो रही है निगरानी

Joshimath

जोशीमठ भू-धंसाव मामले की निगरानी अब पीएमओ से की जा रही है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक सैनी ने बताया कि पीएमओ की ओर से लगातार मामले में अपडेट लिया जा रहा है। लोगों को यहां किसी तरह की परेशानी न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।  


 

जोशीमठ (उत्तराखंड पोस्ट) जोशीमठ में भू-धंसाव को लेकर लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। गुरुवार को क्षेत्र में बाजार पूरी तरह से बंद रहा। प्रभावित लोगों ने दिनभर बदरीनाथ हाईवे पर चक्काजाम रखा।

लोगों का कहना है कि जोशीमठ में भूमिगत टनल के निर्माण को लेकर विस्फोट किए जा रहे हैं। जिससे जोशीमठ नगर में भू-धंसाव हो रहा है। जिसके बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने लोगों को आश्वासन दिया कि बदरीनाथ हाईवे पर हेलंग बाईपास मार्ग के निर्माण के साथ ही एनटीपीसी के परियोजना निर्माण कार्य को तत्काल रोकने के निर्देश दे दिए गए हैं।

एनटीपीसी को प्रभावित परिवारों के लिए जोशीमठ के सुरक्षित स्थानों में लगभग 2000 प्री फेब्रीकेट हट्स बनाने के भी निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों के आश्वासन पर दोपहर साढ़े तीन बजे लोगों ने हाईवे से जाम हटाया और अपने घरों को लौट गए।

संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा कि अभी आंदोलन स्थगित नहीं किया है। यदि आश्वासन के बाद भी जोशीमठ क्षेत्र में परियोजना निर्माण कार्य होते हैं, तो फिर आंदोलन शुरु  कर दिया जाएगा।

PMO से निगरानी

जोशीमठ भू-धंसाव मामले की निगरानी अब पीएमओ से की जा रही है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट दीपक सैनी ने बताया कि पीएमओ की ओर से लगातार मामले में अपडेट लिया जा रहा है। लोगों को यहां किसी तरह की परेशानी न हो इसका भी पूरा ध्यान रखा जा रहा है।  

जोशीमठ से 66 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। अब तक 77 परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है। राज्य सरकार पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर बृहस्पतिवार को विशेषज्ञों का एक दल जोशीमठ में भू-धंसाव की स्थिति की जांच कर कारण जानने का प्रयास करेगा।

जोशीमठ जाने वाले विशेषज्ञ दल में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) से डॉ. पीयूष रौतेला, उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) से डॉ. शांतनु सरकार, आईआईटी रुड़की से प्रो. बीके महेश्वरी, जीएसआई से मनोज कास्था, डब्ल्यूआईएचजी से डॉ. स्वपना मित्रा चौधरी और एनआईएच रुड़की से डॉ. गोपाल कृष्णा को शामिल किया गया है। इससे पहले विशेषज्ञों का यह दल 16 से 20 अगस्त 2022 के बीच जोशीमठ को दौरा कर पहली रिपोर्ट सरकार को सौंप चुका है। यह टीम अगले कुछ दिन जोशीमठ में ही रहकर सर्वेक्षण का कार्य करेगी। इस दौरान दीर्घकालिक और तात्कालिक उपायों के संबंध में टीम सरकार को रिपोर्ट देगी।

विशेषज्ञों के अनुसार जोशीमठ में भू-धंसाव का कारण बेतरतीब निर्माण, पानी का रिसाव, ऊपरी मिट्टी का कटाव और मानव जनित कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट है। शहर भूगर्भीय रूप से संवेदनशील है, जो पूर्व-पश्चिम में चलने वाली रिज पर स्थित है। शहर के ठीक नीचे विष्णुप्रयाग के दक्षिण-पश्चिम में, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों का संगम है। नदी से होने वाला कटाव भी इस भू-धंसाव के लिए जिम्मेदार है।

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