उत्तरकाशी | मजदूरों को बचाने के लिए बना नया प्लान! अब सेना भी तैयार, ऐसे निकालेंगे सुरंग से बाहर

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उत्तरकाशी | मजदूरों को बचाने के लिए बना नया प्लान! अब सेना भी तैयार, ऐसे निकालेंगे सुरंग से बाहर

Dhami

ऑगर मशीन के फंसे बरमे को काटने के लिए आज तड़के पांच बजे हैदराबाद से प्लाज्मा कटर पहुंच गया है। जिससे अभी तक 27 मीटर बरमे को काटकर निकाला जा चुका है। अभी 18 मीटर तक और काटकर निकाला  जाना है। इसके बाद मैन्युअल ड्रिलिंग शुरु होगी।


 

उत्तरकाशी (उत्तराखंड पोस्ट) उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले 15 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान जारी है। मजदूरों तक पहुंचने के लिए 80 सेंटीमीटर व्यास की पाइप 46.9 मीटर तक बिछा दी गई है। इसी के अंदर ऑगर मशीन के ड्रिलिंग ब्लेड्स को डालकर आगे की ओर ड्रिलिंग की जा रही थी, जहां शुक्रवार रात इस्पात की जाली रास्ते में होने की वजह से मशीन का ब्लेड टूट कर फंस गया है। अब इन हिस्सों को काटकर हटाने के लिए हैदराबाद से हवाई मार्ग के जरिए एक प्लाज्मा कटर मशीन मंगाई गई है।

ऑगर मशीन के फंसे बरमे को काटने के लिए आज तड़के पांच बजे हैदराबाद से प्लाज्मा कटर पहुंच गया है। जिससे अभी तक 27 मीटर बरमे को काटकर निकाला जा चुका है। अभी 18 मीटर तक और काटकर निकाला  जाना है। इसके बाद मैन्युअल ड्रिलिंग शुरु होगी।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हैदराबाद से लाई गई प्लाज़्मा मशीन ने सुबह से काम करना शुरू कर दिया है। तेजी से कटाई चल रही है। 14 मीटर और कटना बाकी है। बरमा मशीन को काटकर बाहर लाना है। ऐसा लगता है कि यह जल्द ही पूरा हो जाएगा। कुछ ही घंटों में। उसके बाद मैनुअल ड्रिलिंग शुरू हो जाएगी।

आगे मैन्युअल ड्रिलिंग करेगी सेना

जानकारी के अनपसार अब आगे बचाव अभियान में मैन्युअल ड्रिलिंग का काम सेना के जवान करेंगे। बचाव कार्य को आगे बढ़ाने के लिए पाइप के अंदर से मशीन के हिस्से को पूरी तरह से हटाना आवश्यक है। श्रमिकों को बाहर निकालने का मार्ग तैयार करने के लिए मलबे में हाथ से ड्रिलिंग के जरिए पाइप डालने होंगे।

वहीं उत्तरकाशी में जारी रेस्क्यू अभियान में अब बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग व पिथौरागढ़ समेत कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश-बर्फबारी के आसार हैं। ऐसे में सिलक्यारा टनल में चल रहे राहत कार्यों पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है।

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