जानिए शिक्षिका निलंबन मामले में हरीश रावत को क्यों देनी पड़ी सफाई ?

  1. Home
  2. Dehradun

जानिए शिक्षिका निलंबन मामले में हरीश रावत को क्यों देनी पड़ी सफाई ?

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत मामले पर एक बार फिर से त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साधा है और शिक्षिका के पूर्व में हुए निलंबन पर उन पर भाजपा के आरोपों पर पलटवार किया है। हरीश रावत ने कहा कि उत्तरा पंत के ट्रांसफर के मामले में बीजेपी


जानिए शिक्षिका निलंबन मामले में हरीश रावत को क्यों देनी पड़ी सफाई ?

देहरादून (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत मामले पर एक बार फिर से त्रिवेंद्र सरकार पर निशाना साधा है और शिक्षिका के पूर्व में हुए निलंबन पर उन पर भाजपा के आरोपों पर पलटवार किया है।

हरीश रावत ने कहा कि उत्तरा पंत के ट्रांसफर के मामले में बीजेपी चिल्ला चिल्ला करके कह रही है कि उत्तरा जी का निलंबन मेरे कार्यकाल में भी हुआ है, ये सत्यता नहीं है। उनको स्कूल जॉइन करने के लिए नोटिस दिया गया था, क्यों ना आपको निलंबित किया जाए और उन्होंने स्कूल जॉइन किया।

ये भी पढ़ें- खुलासा | प्रमोशन के बावजूद नहीं हुआ था CM रावत की पत्नी का तबादला

रावत ने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में वो स्कूल जॉइन नहीं करती, हेड क्वार्टर को मालूम नहीं है, वो अनुरोध करने आती है मुख्यमंत्री के पास कि मुझको सुगम में स्थानांतरित कर दीजिए, देहरादून में स्थानांतरित कर दीजिए। जिस तरीके से प्रभावशाली लोगों की पत्नियों को देहरादून में एडजस्ट किया गया है, मुझ विधवा को भी अपने बच्चों को पालने के लिए देहरादून में ले आइए, तो उसके हाथ में न्याय के रूप में निलंबन थमा दिया गया।

हरीश रावत ने आगे लिखा कि उत्तरा पंत जी कभी भी मेरे जनता दरबार में नहीं आई, उन्होंने मुझसे स्थानांतरण की मांग नहीं की। एक विभागीय कार्य के लिए वो अवश्य मेरे पास आई थी और उन्होंने खुद ही एक चैनल में बातचीत में कहा है कि मेरा वो काम हरीश रावत जी ने कर दिया था। प्रश्न ये नहीं है कि उनका सस्पेंशन हुआ या नहीं हुआ, प्रश्न ये है कि जनता दरबार में न्याय मांगने की एवज में उनको सस्पेंशन मिला है, गिरफ्तारी की धमकी मिली है। और वो भी राज्य के संरक्षक, मुख्यमंत्री Trivendra Singh Rawat जी द्वारा।

पूर्व सीएम ने कहा कि एक अबला विधवा दुखी हो करके कुछ अनर्गल भी कह सकती है मगर मुख्यमंत्री, मंत्री या वरिष्ठ राजनेताओं से ये अपेक्षा नहीं की जाती है कि वो अपना संयम खोए। और कभी यदि क्षणिक तौर पर किसी बड़े व्यक्ति को गुस्सा आए भी तो उनको उस गुस्से के परिणामस्वरूप की गई कार्रवाई को स्वयं आगे बढ़ करके ठीक भी करना चाहिए था। मुख्यमंत्री कार्यवाही को ठीक करने के बजाए सारे सरकारी अमला मुख्यमंत्री के निलंबन के आदेश को, गिरफ्तारी के आदेश को सही ठहराने पर तुला पड़ा है, ये बहुत तकलीफ का विषय है।

(उत्तराखंडपोस्ट के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैंआप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलोभी कर सकते हैं)

शिक्षिका प्रकरण | नरम पड़े मुख्यमंत्री रावत, शिक्षा मंत्री को दिए ये निर्देश

मुख्यमंत्री ने शिक्षिका को सस्पेंड किया, शिक्षा मंत्री ने मांगी माफी

uttarakhand postपर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे गूगल न्यूज़  google newsपर फॉलो करे