हारेंगे किशोर उपाध्याय तो बनेगी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार !

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हारेंगे किशोर उपाध्याय तो बनेगी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार !

चुनाव जीतने के बाद हर नेता की चाहत होती है कि वो सरकार में रहे, सत्ता में भागीदार बने लेकिन उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट की तरह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ भी ऐसे नहीं हो पाया है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost किशोर


हारेंगे किशोर उपाध्याय तो बनेगी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार !

चुनाव जीतने के बाद हर नेता की चाहत होती है कि वो सरकार में रहे, सत्ता में भागीदार बने लेकिन उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट की तरह कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ भी ऐसे नहीं हो पाया है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost

किशोर के साथ ये अजब इत्तेफाक रहा या फिर इसे उनकी बदकिस्मती कहें, जब-जब किशोर खुद चुनाव जीते, तब-तब उऩकी पार्टी सत्ता से दूर रही। वहीं जब-जब किशोर चुनाव हारे, तब-तब उनकी पार्टी ने सत्ता हासिल की।

उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से अब तक सभी चुनाव लड़े हैं। 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में टिहरी विधानसभा सीट से किशोर उपाध्याय निर्दलीय दिनेश धनै से मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। लेकिन उनकी पार्टी कांग्रेस ने सत्ता हासिल की और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी।

हारेंगे किशोर उपाध्याय तो बनेगी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार !

2007 के विधानसभा चुनाव में किशोर उपाध्याय टिहरी विधानसभा सीट से खुद तो चुनाव जीते लेकिन इस बार उनकी पार्टी कांग्रेस बहुतम से दूर रह गई और राज्य में भाजपा की की सरकार बनी।

2002 में विधानसभा चुनाव में सरकार भी कांग्रेस की बनी और चुनाव भी टिहरी से किशोर उपाध्याय जीते और एनडी तिवारी सरकार में राज्य मंत्री भी बन गए लेकिन खास बात ये रही कि मंत्रिमंडल का आकार सीमित करने लिए बने कानून के तहत हुई छंटनी में उन्हें मंत्रालय से हाथ धोना पड़ा था।

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2017 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से किशोर उपाध्याय चुनावी मैदान में हैं लेकिन इस बार वे अपनी पारंपरिक सीट की बजाए सहसपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। किशोर को इस सीट पर अपनी जीत का पूरा भरोसा है लेकिन इस सीट पर कांग्रेस के बागी आर्येंद्र शर्मा ने उऩकी जीत की राह में रोड़ा अटकाने में चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ी। हालांकि इसके बाद भी किशोर खुद की जीत और पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलने का दावा कर रहे हैं।

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बहरहाल किशोर उपाध्याय का दावा कितना सही साबित होता है इसका फैसला तो राज्य की जनता ने ईवीएम में कैद कर दिया है। सबको इंतजार है 11 मार्च का जब चुनावी नतीजे ईवीएम से बाहर आएंगे और तस्वीर खुद-ब-खुद शीशे की तरह साफ हो जाएगी।

जानिए किशोर उपाध्याय को क्यों नहीं मिली उनकी पसंद की सीट ?

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