जानिए क्यों प्रकाश पंत नहीं बन पाए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ?

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जानिए क्यों प्रकाश पंत नहीं बन पाए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ?

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आखिरकार प्रकाश पंत को पछाड़कर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की दौड़ जीत ली है। आखिरी वक्त तक त्रिवेंद्र रावत और प्रकाश पंत दोनों में से किसी एक नाम पर मुहर लगने की बात कही जा रही थी। यहां तक की भाजपा विधायक दल की बैठक में भी दोनों एक ही गाड़ी से


जानिए क्यों प्रकाश पंत नहीं बन पाए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ?

त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आखिरकार प्रकाश पंत को पछाड़कर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की दौड़ जीत ली है। आखिरी वक्त तक त्रिवेंद्र रावत और प्रकाश पंत दोनों में से किसी एक नाम पर मुहर लगने की बात कही जा रही थी। यहां तक की भाजपा विधायक दल की बैठक में भी दोनों एक ही गाड़ी से पहुंचे।  अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost

ये सवाल सब के मन में हैं कि आखिर त्रिवेंद ने प्रकाश पंत को पछाड़ते हुए बाजी कैसे मारी। इसके पीछे कई वजह बताई जा रही हैं। सूत्रों की मानें तो प्रकाश पंत का कुमाऊं से होना और साथ ही ब्राह्मण होना उनके खिलाफ चला गया। दरअसल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट भी कुमाऊं से ही आते हैं और ब्राह्मण भी हैं। ऐसे में प्रकाश पंत को सीएम बनाने पर भाजपा में क्षेत्रीय औऱ जातीय समीकरण बिगड़ रहे थे। इस स्थिति में संगठन और सरकार दोनों के मुखिया कुमाऊं से हो जाते और ब्राह्मण हाथ में चले जाते जबकि गढ़वाल खाली हाथ रह जाता।

अजय भट्ट खुद रानीखेत से चुनाव हार गए थे, लेकिन भट्ट के नेतृत्व में भाजपा ने 57 सीटों पर बंपर जीत हासिल की। ऐसे में प्रकाश पंत को सरकार की कमान सौंपकर संगठन की कमान भट्ट से लेकर गढ़वाल के किसी नेता को सौंपना भी भाजपा आलाकमान के लिए आसान नहीं था।

यही वजह है कि प्रकाश पंत बेदाग छवि होने के बाद भी ढ़ैंचा बीज घोटाले में घिरने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत से पीछे रह गए और भाजपा आलाकमान ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बना दिया।

जानिए क्यों प्रकाश पंत नहीं बन पाए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ?

कौन हैं प्रकाश पंत? | प्रकाश पंत का जन्म अविभाजित उत्तरप्रदेश के कुमाऊं मंडल के गंगोली हाट गांव में हुआ। पेशे से पंत पिथौरगढ़ के सरकारी अस्पताल में फार्मासिस्ट थे। इसके बाद प्रकाश पंत ने राजनीति में प्रवेश किया और पिथौरागढ़ नगर पालिका में पार्षद चुने गए। इसके बाद उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) चुने गए। 9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड राज्य बनने के बाद अंतरिम सरकार में विधानसभा अध्यक्ष बने। साल 2002 राज्य के पहले आम चुनाव में प्रकाश पंत पिथौरागढ़ से विधायक चु़ने गए। इसके बाद 2007 में भी प्रकाश पंत ने पिथौरागढ़ से विधायक का चुनाव जीता और बीसी खंडूरी सरकार में संसदीय कार्यमंत्री बने। 2012 में प्रकाश पंत कांग्रेस के मयूक महर से विधानसभा का चुनाव हार गए। 2017 में एक बार फिर प्रकाश पंत पिथौरागढ़ से चुनाव जीते।

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