जानिए क्या अपने ‘मिशन 20’ को पूरा कर पाएंगे हरीश रावत ?
मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बार दो विधानसभा सीटों से चुनावी ताल ठोक रहे हैं। रावत ने ऊधम सिंह नगर की किच्छा विधानसभा सीट के साथ ही हरिद्वार जिले की हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा से भी नामांकन दाखिल किया है। अब ख़बरें एक क्लिक पर इस लिंक पर क्लिक कर Download करें Mobile App –https://play.google.com/store/apps/details?id=app.uttarakhandpost हरिद्वार ग्रामीण
मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बार दो विधानसभा सीटों से चुनावी ताल ठोक रहे हैं। रावत ने ऊधम सिंह नगर की किच्छा विधानसभा सीट के साथ ही हरिद्वार जिले की हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा से भी नामांकन दाखिल किया है।
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हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा विधानसभा सीट से चुनावी ताल ठोकने के पीछे हरीश रावत का मकसद है कि इन दो जिलों की 20 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की जीत का परचम लहराया जाए। इन दो जिलों में हरिद्वार की 11 विधानसभा सीटें हैं तो ऊधम सिंह नगर जिले में 9 विधानसभा सीटें ती हैं।
जानिए क्या हरिद्वार जिले में कमाल कर पाएंगे मुख्यमंत्री रावत ?
ऊधम सिंह नगर जिले की बात करें तो इस जिले में 9 विधानसभा सीटें हैं। ये विधानसभा सीटें हैं जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, रुद्रपुर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता औऱ खटीमा।
2012 में ऊधम सिंह नगर जिले की 9 सीटों की स्थिति | ऊधम सिंह नगर जिले की इन 9 सीटों में 2012 में कांग्रेस सिर्फ दो सीटें बाजपुर और जसपुर ही जीत पाई थी। इसमें से भी बाजपुर सीट जातकर कांग्रेस को देने वाले यशपाल आर्य अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं और भाजपा के टिकट पर बाजपुर से ही चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं 7 विधानसभा सीटों काशीपुर, गदरपुर, रुद्रपुर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता औऱ खटीमा में भाजपा ने जीत का परचम लहराया था।
2012 का गणित | 2012 में किच्छा विधानसभा सीट पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा के राजेश शुक्ला ने कांग्रेस के सरवरयार खान को 8226 मतों से हराया था। शुक्ला को 45.82 फीसदी मत मिले थे तो कांग्रेस उम्मीजवार खान को 34.53 प्रतिशत ही मत मिले थे।
भाजपा ने इस बार भी मौजूदा विधायक राजेश शुक्ला पर ही भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा है। इस सीट पर सीधा मुकाबला हरीश रावत और राजेश शुक्ला के बीच है। लेकिन इस सीट पर कांग्रेस से बगावत कर शिल्पा अरोड़ा भी ताल ठोक रही है, जो हरीश रावत के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है।
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विधानसभा का इतिहास | राज्य गठन के बाद से अब तक हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि इस सीट पर कांग्रेस क दबदबा रहा है। 2002 और 2007 में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया। दोनों ही बार कांग्रेस के तिलक राज बेहड़ यहां से चुनाव जीते थे। लेकिन खास बात ये है कि 2012 से पहले ये सीट रुद्रपुर-किच्छा विधानसभा के नाम से जानी जाती थी और इसमें बड़ा हिस्सा रुद्रपुर का भी आता था। लेकिन 2012 में रुद्रपुर और किच्छा अलग-अलग सीट हो गई और दोनों ही सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।
बहरहाल मुख्यमंत्री जिस प्लानिंग के साथ इस सीट पर लड़ रहे हैं, वो प्लानिंग इस जिले की 9 विधानसभा चुनाव के पिछले नतीजे देखकर मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस के पक्ष में तो कम से कम फिलहाल नहीं दिखाई देते हैं। ऐसे में देखना रोचक होगा कि किच्छा विधानसभा सीट जीतने के साथ ही जिले की 9 विधानसभा सीटें क्या मुख्यमंत्री कांग्रेस को जिता पाने के अपने मिशन में कामयाब हो पाएंगे।
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