कोश्यारी ने विश्वास मत से पहले की स्पीकर को हटाने की मांग

  1. Home
  2. Uttarakhand

कोश्यारी ने विश्वास मत से पहले की स्पीकर को हटाने की मांग

भाजपा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने विधान सभा के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुये उन्हें हटाये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कुंजवाल और हरीश रावत ने मिलकर संविधान की जिस तरह से हत्या की, इतिहास में ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब विधान


कोश्यारी ने विश्वास मत से पहले की स्पीकर को हटाने की मांग

कोश्यारी ने विश्वास मत से पहले की स्पीकर को हटाने की मांगभाजपा सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने विधान सभा के स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल की भूमिका पर सवाल उठाते हुये उन्हें हटाये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कुंजवाल और हरीश रावत ने मिलकर संविधान की जिस तरह से हत्या की, इतिहास में ऐसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि जब विधान सभा सत्र बुलाया जाए, सबसे पहले स्पीकर को हटाया जाए क्योंकि कुंजवाल ने स्पीकर रहते हुये हरीश रावत के प्रवक्ता की तरह काम किया। (पढ़ें-ये है गणित- हरीश रावत बहुमत साबित कर पाएंगे या नहीं ?) (पढ़ें-हरीश रावत ने किया कोर्ट के फैसले का स्वागत, कहा- साबित करेंगे बहुमत)

कोश्यारी ने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा कांग्रेस के असंतुष्टों को सदन में वोटिंग का अधिकार देना इस बात को साबित करता है कि स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने संविधान की मर्यादाओं का पालन नहीं किया। (पढ़ें- बागी विधायकों को वोटिंग के अधिकार पर हम कानूनी राय ले रहे हैं: अंबिका सोनी)

स्पीकर के खिलाफ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लंबित है, सदन शुरू होते ही सबसे पहले स्पीकर के लिए वोटिंग होनी चाहिए। कोश्यारी ने कहा कि प्रजातंत्र के साथ मजाक करने वाला ऐसा उदाहरण पहले कभी नहीं रहा, जब मुख्यमंत्री और स्पीकर ने मिलकर संवैधानिक कायदे कानूनों का उल्लंघन किया हो। सारे घटनाक्रम में स्पीकर कुंजवाल ने मुख्यमंत्री के प्रवक्ता की तरह व्यवहार किया है। (पढ़ें-उत्तराखंड में गुंडागर्दी से गिराई BJP ने सरकार : केजरीवाल)

कोश्यारी ने कहा कि कांग्रेस सरकार 18 मार्च को वित्त विनियोग पर स्पीकर द्वारा मत विभाजन ना कराए जाने के बाद गिर गई थी। सरकार ने बहुमत खो दिया था। लेकिन स्पीकर ने विधेयक को पारित होने की घोषणा करके संविधान को तार-तार कर दिया और राज्य को गंभीर वित्तीय संकट में धकेल दिया। (पढ़ें-हरीश रावत को कोर्ट से बड़ी राहत, 31 मार्च को साबित करना होगा बहुमत)

उन्होंने कहा कि कुंजवाल से पूर्व भी कांग्रेस के विधान सभा अध्यक्ष रहे और वह भी पार्टी के बड़े नेता के करीबी थे, लेकिन स्पीकर के रूप में उनके आचरण पर कोई आपत्ति नहीं हुई। लेकिन कुंजवाल ने विधान सभा की गरिमा को गिरा दिया। (पढ़ें-हाईकोर्ट का आदेश, केन्द्र के फैसले पर बड़ा तमाचा: हरीश रावत)

uttarakhand postपर हमसे जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक  करे , साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार ) के अपडेट के लिए हमे गूगल न्यूज़  google newsपर फॉलो करे