सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा | वो सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं

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सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा | वो सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं

अल्मोड़ा (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) देवभूमि उत्तराखंड की पहचान अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए होती है। बर्फ की चोटियां, ऊंचे पहाड़ और हरी भरी वादियों हर किसी का ध्यान आकर्षित करती हैं। इसके अलावा भी उत्तराखंड में ऐसे बहुत से स्थान हैं, जिनके बारे में बहुत लोगों को जानकारी नहीं है। ऐसे में हम आपको उत्तराखंड की


सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा | वो सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं

अल्मोड़ा (उत्तराखंड पोस्ट ब्यूरो) देवभूमि उत्तराखंड की पहचान अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए होती है। बर्फ की चोटियां, ऊंचे पहाड़ और हरी भरी वादियों हर किसी का ध्यान आकर्षित करती हैं। इसके अलावा भी उत्तराखंड में ऐसे बहुत से स्थान हैं, जिनके बारे में बहुत लोगों को जानकारी नहीं है। ऐसे में हम आपको उत्तराखंड की मनोरम वादियों में बसे ऐसे ही स्थानों के बारे में बताएंगे, जहां आप शायद पहले न पहुंच पाएं हों। ये भी पढ़ें- क्या आपको पता है काफल की ये कहानी ?

इस कड़ी में आज हम बात करेंगे उत्तराखंड की सांस्कृतिक राजधानी के नाम से पहचाने जाने वाले अल्मोड़ा जिले की और आपको बताएं अल्मोड़ा और उसके आस-पास के उन दर्शनीय स्थलों के बारे में जहां जाकर आपका दिन बन जाएगा।

अल्मोड़ा जिला | प्रकृति की गोद में बसा अल्मोड़ा कुमाऊं का परंपरागत शहर है। अल्मोड़ा का अपना विशेष ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक महत्व है। कभी कुमाऊं की राजधानी रही अल्मोड़ा में वर्ष भर सांस्कृतिक उत्सवों की छटा बिखरी रहती है। इस पर 9वीं शताब्दी में कत्यूरी वंश के शासकों का शासन था। 16वीं शताब्दी के मध्य तक इस पर चंद्रवंशीय शासकों ने अधिकार कर लिया।

सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा | वो सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं

अल्मोड़ा को 1563 में बसाने का श्रेय राजा बालों कल्याण चंद्र को जाता है। 1790 से इस पर गोरखाओं ने शासन किया एवं 1815 में यह  अंग्रेजों के आधिपत्य में चला गया। कत्यूरी व चंद्रवंशीय शासकों द्वारा बनाए गए महल व किले आज भी अतीत की यादों को सजोए है। अल्मोड़ा से हिमाच्छादित शिखरों की लंबी कतार का नयानाभिराम सुंदर द्रश्य भी दिखाई पड़ता है। स्लेट की छत वाले पुराने मकान, लालमंडी का किला तथा नरसिंह मंदिर इस नगर की मध्यकालीन विरासतें है। ये भी पढ़ें- यहां छिपा है राज़ | जानिए कैसे होगा कलयुग का अंत ?

अल्मोड़ा के आस-पास के दर्शनीय स्थल

  • चितई मंदिर (8 किमी.) इस मंदिर की पुरे कुमाऊं क्षेत्र में मान्यता है। मंदिर परिसर में घंटिया टंगी है।
  • डियर पार्क (3 किमी.) इस पार्क को एनटीडी के नाम से भी जाना जाता है। सांयकाल के समय लोग यहां घूमने आते है।
  • कसार देवी (5 किमी.) द्वितीय शताब्दी में निर्मित यह प्राचीन मंदिर पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। इसके पास ही एक किलोमीटर की दूरी पर कालीमठ एक भ्रामणीय स्थल हे।
  • सिमतोला (3 किमी.) सिमतोला चीड़ व देवदार से ढकी सुंदर पहाड़ियों के मध्य स्थित एक मनोरम स्थल है।
  • ब्राइट एंड कार्नर(2 किमी.) यहां से सूर्योदय व सूर्यास्त का द्रश्य अत्यंत सुंदर दिखाई देता है। यहां रामक्रष्ण कुटीर में स्वामी विवेकानंद पुस्तकालय है जहां पर आध्यात्मिक चिंतिन के कई साहित्य उपलब्ध है। पास ही में विवेकानंद का स्मारक भी है।
  • कोसी मंदिर(10 किमी.)
  • कत्यूरी वंश द्वारा 12वीं शताब्दी में निर्मित यह भारत के प्राचीन सूर्य मंदिरों मं से एक है।
  • गणनाथ (47 किमी.)
  • गणनाथ प्राक्रतिक गुफाओं और अत्यंत प्राचीन शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहां मेला लगता है।

कौसानी

कौसानी कुमाऊं हिमालय की धरी का स्वर्ग है। यह नगर एक पहाड़ की चोटी पर बसा हुआ है जिस पर दोनों ओर दूर-दूर तक फैली हुई हरी-भरी घाटियां है। यहां की सुंदरता पर्यटकों को सम्मोहित कर देता है। महात्मा गांधी ने 1929 में  ‘अनासक्ति योग’ नामक पुस्तक की रचना यहीं पर की थी। ये भी पढ़ें- ज़रूर देखें | भारत का स्विट्जरलैंड…कौसानी

रानीखेत

प्रकृति का अनुपम सोंदर्य रानीखेत के कणकण में बसी है। यहां का शांत वातावरण, चीडड व देवदार के घने जंगल, दूर-दूर तक फैली घाटियां, ठंडी हवा के झोंके, फूलों से ढके रास्ते व पक्षियों का कलरव पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। ये भी पढ़ें- रानीखेत | यहां सिर्फ घूमने नहीं समय बिताने आते हैं पर्यटक

रानीखेत के आस-पास के दर्शनीय स्थल

  • झूलादेवी मंदिर (7 किमी.)
  • यह एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की कलाक्रति को देखकर मंदिर सभी अभीभूत हो जाते है।
  • बिनसर महादेव (19 किमी.)
  • चीड़ व्रक्षों के घने जंगलों को मध्य स्थ्त यह प्राचीन शिव मंदिर है। करीब ही दुर्गा व राम भगवान के राम भगवान के दर्शनीय मंदिर भी है।
  • चिलियानौला (4 किमी.)
  • यहां पर हेड़ाखान बाबा का भव्य मंदिर है। इस आधुनिक मंदिर में सभी देवी-देवताओं की कलात्मक मूर्तियां देखने लायक है।
  • ताड़ीखेत | यह स्थान गांधी कुटी और प्रेम विद्यालय के कारण प्रसिद्ध है। यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी जाना जाता है।
  • चौबटिया (10 किमी.) | यहां सुंदर बाग-बगीचे है। यहां सरकारी उद्यान व फल अनुसंधान केन्द्र भी देखने योग्य है। पास ही में जल प्रपात है जिस ऊंचाई से गिरते संगमरमर जैसे पानी का द्रश्य मन मोह लेता है।
  • उपत एवें कालिका (6 किमी.) | यह स्थान रानीखेत-अल्मोड़ा के सड़क मार्ग पर स्थित है। यहां सुंदर गोल्फ का मैदान है। कालिका में कालीदेवी का प्रसिद्ध मंदिर है।
  • मनीला (66 किमी.) | यह मछलियों के शिकाक व प्राक्रतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है।
  • डूंगरी | रानीखेत से लगभग 52 किमी की दूरी पर स्थित यहां दुर्गा माता का एक प्रसिद्ध मंदिर है। इसके आसपास में देखने योग्य स्थान सुखदेव मुनि आश्रम (2 किमी), पांडुखोली (10 किमी) है।

जागेश्वर  

यह तीर्थ स्थल अल्मोड़ा से 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां का शिवलिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिलिंगों में से एक माना जाता है। देवदार के घने जंगल के मध्य यहां पुरातात्विक महत्व के 164 मंदिरों का समूह है। मंदिरों की नक्काशी, स्थापत्य कला तथा द्वार सजावट मध्यकाल की वास्तुकला व मूर्तिकला का अनुपम उदाहरण है।

  • वृद्ध जागेश्वर | यह एक प्रसिद्ध एवं प्रचीनतम मंदिर है। प्राचीन मंदिर होने के कारण इसकी लोंगो में बहुत मान्यता है।

यहां तक कैसे पहुचें

  • हवाई मार्ग: अल्मोड़ा से निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर 127 किलेमीटर दूर है।
  • रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम 91 किलोमीटर की दूरी पर है। दिल्ली, हावड़ा, बरेली, रामपुर आदी शहरों से यहां पर रेल आती है।
  • सड़क मार्ग: अल्मोड़ा के लिए उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम की बसें प्रदेश के सभी प्रमुख नगरों व दिल्ली से नियमित रुप से आती-जाती है।

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